द कश्मीर फाइल्स: नादव लैपिड ने जो कहा वो कहा, लेकिन बाकी IFFI ज्यूरी मेंबर्स का क्या कहना है?
कश्मीर फ़ाइलें विवाद: विवेकहोत्री (विवेक अग्निहोत्री) की ‘द कश्मीर फाइल्स (द कश्मीर फाइल्स)’ पर इजरायली फिल्मकार (फिल्म निर्माता) नादव लैपिड (नदव लैपिड) के बयान के बाद काफी विवाद हो गया है। नादव लैपिड के बयान के बाद आम लोगों के साथ फिल्म से जुड़े हुए अभिनेता (अभिनेता) और निर्देशक (निर्देशक) अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। अब इसी बीच एफआइएफ (आईएफएफआई) के दो और ज्यूरी मेंबर्स ने फिल्म निर्माता का साथ देकर अपनी जमा राशि को पूरी तरह से सही ठहराया है।
ज्यूरी मेंबर्स का बयान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्रेंच न्यूजपेपर से बातचीत के दौरान पास्कल चावांस (पास्केल चावांस) ने कहा, ‘द कश्मीर फाइल्स एक प्रमोशनल फिल्म ही है, जिसमें बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम को मॉन्स्टर्स की तरह दिखाया गया है।’
इसके साथ पत्रकार जेवियर अंगुला बारटुने (एवियर अंगुलो बारटुरेन) ने नादव का समर्थन करते हुए कहा ‘नादव ने जो भी कहा वो बिल्कुल ठीक कहा और ये हिज उनका राय नहीं बल्की ज्यादातर ज्यूरी की भी यही राय है।’ इसके साथ ही तीन और फ़र्नर ज़्यूरी सदस्यों ने भी नादव के बयानों को सही ठहराया।
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– जिन्को गोटोह (@JinkoGotoh) 2 दिसंबर, 2022
इसके साथ सेन ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि ‘मैने स्टेज से जो कहा कि मैं उस पर अभी भी टिका हूं और किसी भी हाल में अपना ट्रांसफर नहीं बदलूंगा। यह बात सच है कि हमने कलात्मक तरीके से फिल्म को खारिज कर दिया लेकिन नादव के बयानों में कला नहीं थी जिस पर आप की गई थी।’
नादव लैपिड (Nadav Lapid) ने फिल्म फेस्टिवल में ‘द कश्मीर फाइल्स (द कश्मीर फाइल्स)’ को एक प्रोपेगेंडा और वाल्गर फिल्म बताया था। इसके साथ ही ज्यूरी ने भी इस बात को पूरी तरह से कहा है कि इस फिल्म से पूरी ज्यूरी को परेशानी हुई थी। आपको बता दें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ में 90 के दशक में कश्मीर की घाटी से हिंदुओं के पलायन का वर्णन किया गया है। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कलेक्शन किया है।
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